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बाबागिरी

अब तक बहुत से बाबाओं के संपर्क में आ चुका हूं, जिनको पढ़ता तो ऐसा लगता मानो बंदे की बात में दम है और ये शख़्स सही में जिंदगी की नैया पार लगवा देगा। ये ऐसे बहुत से तरीक़े बतलाते हैं जिनसे इस मायारूपी संसार के सारे बंधन खुल जाएंगे, परंतु क्या मतलब उन तरीकों का जो मुक्ति के लिए हो, लेकिन खुद ही बंधन बन जाए, उन तरीकों का ही एक नशा सा छा जाए। ये सिर्फ़ क्षणिक ख़ुशी और शांति देते हैं।  पहले मुझे बाबाओं की दुनिया का पता नहीं था, फिर धीरे–धीरे मुझे ऐसे बाबाओं के बारे में समझ आने लगा, कि कैसे ये एन–केन–प्रकारेन लोगों के लालच, भय, और शांति पाने की कामना का ग़लत फ़ायदा उठा उन्हें गुमराह करते हैं। ये सिर्फ़ आज ही नहीं हजारों सालों से और सिर्फ़ भारत में ही नहीं सारी दुनिया में लोगों को मूर्ख बनाते फिर रहे हैं। और इसका एक बड़ा कारण मनुष्य की अपने आप से कभी संतुष्ट न होने वाली प्रकृति है। हम कितने ही श्रेष्ठ क्यों न हो अपने से भिन्न लोग अक्सर हमें प्रभावी लगते हैं।  कोई दूर–देश जगह से आया आदमी क्यों न उसकी उसके जानने वालों में कोई औकात न हो, वो हमें कुछ ज्ञान पेल देता है और हम उसे उस जगह का प