बाबागिरी
अब तक बहुत से बाबाओं के संपर्क में आ चुका हूं, जिनको पढ़ता तो ऐसा लगता मानो बंदे की बात में दम है और ये शख़्स सही में जिंदगी की नैया पार लगवा देगा। ये ऐसे बहुत से तरीक़े बतलाते हैं जिनसे इस मायारूपी संसार के सारे बंधन खुल जाएंगे, परंतु क्या मतलब उन तरीकों का जो मुक्ति के लिए हो, लेकिन खुद ही बंधन बन जाए, उन तरीकों का ही एक नशा सा छा जाए। ये सिर्फ़ क्षणिक ख़ुशी और शांति देते हैं।
पहले मुझे बाबाओं की दुनिया का पता नहीं था, फिर धीरे–धीरे मुझे ऐसे बाबाओं के बारे में समझ आने लगा, कि कैसे ये एन–केन–प्रकारेन लोगों के लालच, भय, और शांति पाने की कामना का ग़लत फ़ायदा उठा उन्हें गुमराह करते हैं। ये सिर्फ़ आज ही नहीं हजारों सालों से और सिर्फ़ भारत में ही नहीं सारी दुनिया में लोगों को मूर्ख बनाते फिर रहे हैं। और इसका एक बड़ा कारण मनुष्य की अपने आप से कभी संतुष्ट न होने वाली प्रकृति है। हम कितने ही श्रेष्ठ क्यों न हो अपने से भिन्न लोग अक्सर हमें प्रभावी लगते हैं।
कोई दूर–देश जगह से आया आदमी क्यों न उसकी उसके जानने वालों में कोई औकात न हो, वो हमें कुछ ज्ञान पेल देता है और हम उसे उस जगह का प्रतिनिधि मान बैठते हैं। भारत का आध्यात्म विश्वप्रसिद्ध है, कुछ बाबाओं का भारत में पहले रूतबा बिल्कुल भी नहीं था, वो अमेरिका में जाकर ज्ञान बांट आए, फ़िर भारत वालों को पता चला कि फलां फलां बाबा की अमेरिका में इतनी इज्जत है, तो हम भी ये मानने लगे कि नहीं बंदे में कुछ तो बात होगी तभी तो उसे अमेरिका में तक सुना जा रहा है।
रही बात उनके ज्ञान की तो 10–15 किताबें पढ़कर उसकी बातों को दोहराना ज्ञान नहीं होता, ऐसा होता अगर तो दुनिया में सबसे बुद्धिमान तोते कहलाते मनुष्य नहीं।
वैसे इन सब ने काफी हद तक मेरी जिंदगी में बदलाव लाने का काम किया है, ओर इनकी बदौलत अब मैं नास्तिकता की ओर चल पड़ा हूं, क्योंकि ये समीकरण अब मेरी समझ में आने लगे हैं।
मेरी सबसे अच्छी बात ये रही कि मैं किसी भी बंधन में कभी फंस नहीं पाया, क्योंकि अगर तुम किसी एक ही तरफ देखों तो तुम्हें उस तरफ की ख़ूबसूरती ही आकर्षित करेगी, चाहे और जगह उससे ज्यादा ही खूबसूरत क्यों न हो। मैं हर तरफ देखता हूं फ़िर निर्णय लेता हूं कि ज्यादा अच्छा क्या हैं, ओर किस ओर जाना है मुझे 😎
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