Posts

Showing posts from 2019

ऐसे कैसे होगा हिंदी विकास?

अपनी हिंदी भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने की परम्परा बहुत पुरानी है। ज्यादातर हिंदी भाषियों को पता ही होगा तत्सम, तद्भव देशज और विदेशज शब्दों में अंतर। यदि अंग्रेजी के शब्द भी आए तो इनसे परहेज़ नहीं होना चाहिए। अंग्रेजी ही नहीं हर भाषा के शब्द आए इसमें, भाषा का विकास इसी से होता है हमें ये मानना होगा। भाषा की शुद्धता बनाए रखने की कोशिश उसे सीमित करती है और किसी भी भाषा के विकास में बहुत ही बाधक है जिसका उदाहण हमारी संस्कृत जैसी उत्कृष्ट और परिष्कृत भाषा सामने है। दूसरी बात जो भाषा के विकास के लिए जरूरी है वो है इसका साहित्य, मैं ये नहीं कह रहा कि हिंदी साहित्य से भरपूर नहीं है। पर साहित्य के कुछ अहम हिस्से जिसमें विज्ञान और तकनीक आदि आते है बहुत कम ही परिलक्षित होते दिखते है। साहित्य का एक अहम हिस्सा होता है पत्रकारिता, पर मुझे नाम गिनाओ कि कितने ऐसे अखबार और पत्रिकाएं है जिनकी खबरों और लेखों की विश्वसनीयता पर तुम 100 फ़ीसदी विश्वास कर सकते हो। अपनी भारतीय संस्कृति और दर्शन से जुड़े तथ्य जिनको अक्सर मैं गूगल पर सर्च करता हूं तो मुझे सारे अच्छे लेख और उत्कृष्ट शोध अंग्रेजी मे

भट्टे की जगह गट्टे की सब्जी 😂

Image
दुनिया में बैगन की सबसे ज्यादा खपत शायद अपने बालाघाट अर्थात विदर्भ के आसपास ही होती होगी। "बैगन" को "भट्टा" कहा जाता है हमारे क्षेत्र में। एक दिन हमने अपनी खाना बनाने वाली आंटी से भट्टे बनाने बोला। और रोज़ की तरह हम अपने काम में और आंटी खाना बनाने में व्यस्त हो गई। बहुत देर बाद आंटी किचन से निकली, और विदा ले ली, पर आज कुछ ज्यादा ही समय ले लिया था आंटी ने महज भट्टे की सब्जी बनाने में, मैंने ध्यान नहीं दिया और फिर अपने में व्यस्त हो गया। मैं तो थोड़े लेट खाना खाने वालों में से हूं तो हमसे पहले भैया ने खाना ले लिया और हमसे कहने लगे वाह आज तुने कुछ नया ट्राय करवा लिया आंटी से, और इसी के साथ रेसीपी और ये मैदे के है या बेसन के या गेंहू के आटे का पूछने लगे। मैं कंफ्यूज कि ये क्या बोल रहे, मैंने क्या कर दिया ऐसा। किचन में जाकर सब्जी देखा तो हैरान ये भट्टे कब से आलू जैसे दिखने लगे? ये क्या हो गया .... !! आंटी को तो मैंने भट्टे बनाने बोला था। ये क्या है!!! अगले दिन पता चला कि ये दरअसल गट्टे की सब्जी है, मैंने भट्टे बोला था पर आंटी गट्टे समझी। चलो इसी बहाने एक नई सब्जी

सभी कश्मीरी नागरिकों और कश्मीर हितैषी लोगों के लिए हर आम भारतीय का पैग़ाम 👇

सबसे पहले आपको एक नए सवेरे का सलाम🙏 हमारे प्यारे कश्मीरी भाइयों और बहनों हम तो सालों से कहते आ रहे थे कि #धारा370 और #35ए पर खुल कर बहस और वार्तालाप होना चाहिए और #कश्मीर को प्यार से ही भारत का हिस्सा बनना चाहिए और यही स्टैंड देश के लगभग हर आम नागरिक का वर्षों से बना हुआ है। और इसको लेके हमनें जल्दबाजी कहीं नहीं दिखाई हमनें सालों इंतजार किया, पर आज हमें ये फ़ैसला कुछ जबरदस्ती के साथ लेना पड़ा है, लेकिन ये बात भी सच है कि हम जैसे ही 370 या 35ए का नाम भी लेते,(हटाने की तो बात अलग ही है) तो कुछ राजनीतिक नेता बिगड़ने लगते थे, और इनको जरा भी छेड़ने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देने लगते। तो फ़िर ऐसे में ऐसा कैसे संभव हो पाता कि ये लोग राज़ी खुशी मान जाते। ये लोग ही कारण बने है इस जबरदस्ती का। भई इनको अगर थोड़ी सी भी भनक लग जाती ना तो ये कश्मीर में कत्लेआम करवा देते और इससे पहले करवाएं भी है। और इतिहास गवाह है कि हमेशा ऐसे कत्लेआम और दंगो में इन्हें भड़काने वाले नेताओं का कुछ नहीं जाता, क्योंकि वो तो हाई क्लास सुरक्षा में रहते और उनके बच्चें भी विदेशों में पढ़ते। इन सब के बीच पिसते आम

कैसे कैसे ऐसे वैसे हो गए? ऐसे वैसे कैसे कैसे हो गए?

दुनिया में सिर्फ़ उन्हीं को सुना जा रहा है जो या तो बहुत ही ज्यादा दक्षिणपंथी होते है या वामपंथी। लोगों को लगता है कि इन दो विचारधाराओं के अलावा कोई विचारधारा ही नहीं है। इसीलिए ही तो जो सरकार विरोधी सही बात करे उसे वामपंथी और जो सरकार समर्थित सही बात करे उसे दक्षिणपंथी घोषित कर दिया जाता है, और ठीक इसका उल्टा भी, अंग्रेजी में बोले तो वाइस–वर्सा। और मैं शतप्रतिशत ये दावे के साथ कह सकता हूं कि किसी को भी वाम या दक्षिण पंथी घोषित करने वाले और कहलाने वाले दोनों को इनका मतलब नहीं पता। क्योंकि अगर पता होता तो ये भी पता होता कि ये विचारधाराएं तो कब की मर चुकी है, आज बस इनके नाम और संस्थाएं बची है, जो इनसे अपने मतलब ख़ूब निकाल रही।  चलों होंगे भी अगर ये दोनों वर्ग और विचारधारा, पर अगर इन दोनों से नफ़रत है सबको तो उन लोगों की बातें कोई क्यों नहीं सुनता जो नैतिक रूप से एकदम सही बात करे और इनके बीच की बात करें; पर ऐसा कैसे हम तोतों ने तो दो ही नाम सुने है इसीलिए ऐसा तो कोई वर्ग है ही नहीं जो नैतिकता से परिपूर्ण संविधान के दायरे में सही बात करें। क्योंकि संविधान बनाने वाले तो एलियन थे न

Flood Solution

Assam Flood Year over year floods in same parts of the country has became so common for now, and this will more severe in the upcoming years because of the # ClimateChange . So there is no permanent solution of Climate change & this problem appearing for now (Uncle Sam) . But we cannot seat & watch all these disasters. There is one possible solution to reduce the effects of floods is the creation of wetlands near flooding areas. Wetlands slow the flow of water, also recharge the ground water. It means two problems one solution. Wetlands will not only reduce the dangerous flow of flooding water but it’ll solve the worst problem of world # WaterCrisis . Wetlands play a role in reducing the frequency and intensity of flooding by storing water from storm surges. This also reduces erosion, a particular problem in urban and agricultural areas. Wetlands can be seen as an insurance policy that provides recreation and other benefits, while protecting those who live in lo