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ऐसे कैसे होगा हिंदी विकास?

अपनी हिंदी भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने की परम्परा बहुत पुरानी है। ज्यादातर हिंदी भाषियों को पता ही होगा तत्सम, तद्भव देशज और विदेशज शब्दों में अंतर। यदि अंग्रेजी के शब्द भी आए तो इनसे परहेज़ नहीं होना चाहिए। अंग्रेजी ही नहीं हर भाषा के शब्द आए इसमें, भाषा का विकास इसी से होता है हमें ये मानना होगा। भाषा की शुद्धता बनाए रखने की कोशिश उसे सीमित करती है और किसी भी भाषा के विकास में बहुत ही बाधक है जिसका उदाहण हमारी संस्कृत जैसी उत्कृष्ट और परिष्कृत भाषा सामने है। दूसरी बात जो भाषा के विकास के लिए जरूरी है वो है इसका साहित्य, मैं ये नहीं कह रहा कि हिंदी साहित्य से भरपूर नहीं है। पर साहित्य के कुछ अहम हिस्से जिसमें विज्ञान और तकनीक आदि आते है बहुत कम ही परिलक्षित होते दिखते है। साहित्य का एक अहम हिस्सा होता है पत्रकारिता, पर मुझे नाम गिनाओ कि कितने ऐसे अखबार और पत्रिकाएं है जिनकी खबरों और लेखों की विश्वसनीयता पर तुम 100 फ़ीसदी विश्वास कर सकते हो। अपनी भारतीय संस्कृति और दर्शन से जुड़े तथ्य जिनको अक्सर मैं गूगल पर सर्च करता हूं तो मुझे सारे अच्छे लेख और उत्कृष्ट शोध अंग्रेजी मे

भट्टे की जगह गट्टे की सब्जी 😂

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दुनिया में बैगन की सबसे ज्यादा खपत शायद अपने बालाघाट अर्थात विदर्भ के आसपास ही होती होगी। "बैगन" को "भट्टा" कहा जाता है हमारे क्षेत्र में। एक दिन हमने अपनी खाना बनाने वाली आंटी से भट्टे बनाने बोला। और रोज़ की तरह हम अपने काम में और आंटी खाना बनाने में व्यस्त हो गई। बहुत देर बाद आंटी किचन से निकली, और विदा ले ली, पर आज कुछ ज्यादा ही समय ले लिया था आंटी ने महज भट्टे की सब्जी बनाने में, मैंने ध्यान नहीं दिया और फिर अपने में व्यस्त हो गया। मैं तो थोड़े लेट खाना खाने वालों में से हूं तो हमसे पहले भैया ने खाना ले लिया और हमसे कहने लगे वाह आज तुने कुछ नया ट्राय करवा लिया आंटी से, और इसी के साथ रेसीपी और ये मैदे के है या बेसन के या गेंहू के आटे का पूछने लगे। मैं कंफ्यूज कि ये क्या बोल रहे, मैंने क्या कर दिया ऐसा। किचन में जाकर सब्जी देखा तो हैरान ये भट्टे कब से आलू जैसे दिखने लगे? ये क्या हो गया .... !! आंटी को तो मैंने भट्टे बनाने बोला था। ये क्या है!!! अगले दिन पता चला कि ये दरअसल गट्टे की सब्जी है, मैंने भट्टे बोला था पर आंटी गट्टे समझी। चलो इसी बहाने एक नई सब्जी