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Showing posts from October, 2018

Where Am I going?

Sometimes I think are we really going in right direction?? then I think "साला ये पढ़ाई लिखाई सब फ़ालतू का चिक्कलस है रे, अपुन को अक्खी दुनिया बोलता कि तु बस ठीक से पढ़ाई करने का और अच्छी नौकरी लगने का मांगता , फ़िर सब ठीक हो जाएगा और लाइफ एकदम सेटल। पर नौकरी तो अपन साला चाहता च नहीं , अपुन को तो फूल संतुष्टि और हैप्पी लाइफ मांगता है, जो कि साला पढ़ाई–लिखाई से घंटा नहीं मिलने वाला।" थोड़ा मज़ेदार बनाने के लिए भाई की बोली में लिख डाला,, पर बात तो सही है जब हमें कोई अच्छी नौकरी मिल जाएं तब भी मन नहीं भरता, उसके आगे और दूसरी ख्वाहिशें पनपने लगती हैं, फ़िर तीसरी फ़िर चौथी...  मतलब कभी अंत नहीं तुम्हारे लालच का यहां तक कि साला तुमको सीबीआई का डायरेक्टर क्यों न बना दे, तब भी तुम रिश्वत लोगे। अबे जाना किधर है तुमको? करना क्या चाहते हो गुरू? किधर लेके जाएगा ये सब? ये ख्याल वैसे तो मेरे है, लेकिन हर उस व्यक्ति के मन में उठते होंगे, जो अपनी अच्छी–खासी खुशहाल जिंदगी की वाट लगा के बैठा है, सिर्फ़ नौकरी के लिए। नोट:– पढ़ाई–लिखाई से मतलब उस शिक्षा से नहीं है जो किसी भी

यमन में अकाल, क्या फ़िर से बंगाल? (विश्व आहार दिवस)

1943 का बंगाल–अकाल। माना उस हालत से हमें नहीं गुजरना पड़ा, लेकिन आज जब उसकी तस्वीरों पर नज़र जाती हैं तो रूह कांप जाती है।  इसकी गिनती मानव इतिहास की सबसे भयानक आपदाओं में की जा सकती है। इसमें कलकत्ता की सड़कें हड्डियों के ढांचों से भर गई थी। मुझसे तो लिखा भी नहीं जा रहा, गूगल पर सर्च करके आप ख़ुद तस्वीरें और जानकारी प्राप्त कर सकते हो। बंगाल अकाल की इतनी भयावहता का कारण प्राकृतिक तो था ही लेकिन वैश्विक मानवता के ठेकेदारों की अनदेखी ने इसमें घी डालने का काम किया था। विंस्टन चर्चिल जिसे द्वितीय विश्वयुद्ध का हीरो माना जाता है उसकी क्रूरता के तो क्या कहने!   आज 75 साल बाद कुछ ऐसे ही हालात यमन में बनें है। यमन ऐतिहासिक रूप से विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक , लेकिन आज वहां भयंकर अकाल है, और इसका कारण प्राकृतिक नहीं बल्कि वहां पर पैदा हुए युद्ध जैसे हालात है। यमन में छिड़ा है गृहयुद्ध जिसे हम दो राजनीतिक शक्तियों का आपसी युद्ध भी कह सकते हैं, जिसमें सऊदी अरब और अमेरिका का हस्तक्षेप भी जगजाहिर है। आज जिसके पास पैसा है उसके पास पावर होती है, और जिसके पास पावर है उसके खिलाफ़ कोई नहीं