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थोरियम एक बेहतरीन ऊर्जा विकल्प

∆*थोरियम आधारित नाभिकीय ऊर्जा*∆ सम्पूर्ण विश्व में उत्पन्न ऊर्जा संकट से निपटने में भारत सक्षम है। अब तक नाभिकीय विद्युत संयंत्रों में ईंधन के रूप में युरेनियम का उपयोग होता है। युरेनियम के पर्याप्त भण्डार भारत के पास नहीँ है, इसलिए अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को विदेशों पर आश्रित रहना पड़ता है। यदि यूरेनियम की जगह थोरियम का उपयोग नाभिकीय ईंधन के रूप में किया जाये तो ये अगली सदियों में भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है(हालांकि थोरियम आधारित संयंत्रों में यूरेनियम की भी थोड़ी आवश्यकता पड़ती है।) आज से सात दशक पहले ही थोरियम से विद्युत उत्पादन की तकनीक विकसित नहीँ होने के कारण निकट भविष्य में इसके उपयोग हेतु भारतीय भंडार सुरक्षित रखने थोरियम निर्यात पर भारत सरकार ने  प्रतिबंध लगाया था। एक अनुमान के मुताबित विश्व में युरेनियम के भंडार से तीन गुना थोरियम का भंडार उपलब्ध है। जिसका करीब 30% हिस्सा भारत के पास संरक्षित है। थोरियम से होने वाली इस ऊर्जा क्रांति और उसमें भारतीय हिस्सेदारी को बहुत पहले ही सर्वप्रथम डॉ. होमी जहाँगीर भाभा ने पहचान लिया था जो भारत के परम

महँगाई बढ़ने के फ़ायदे

पढ़ कर आश्चर्य तो हुआ होगा किन्तु इसके फ़ायदे भी हो सकते है। भारत में अगर महँगाई बढ़ रही है तो लोगो की आय भी तो बढ़ रही हैं , फिर भी महँगाई को बहुत बड़ी समस्या कहा जाता है। क्यों?  मै इस विषय में पहले भी सोचता था लेकिन मोहल्ला 80 देखने के बाद लिखने की सोची कि इसके फ़ायदे भी हो सकते है। दूसरे देश जिनकी मुद्रा की क़ीमत ₹ की तुलना में बहुत अधिक है , वहाँ एक भारतीय के लिए महँगाई बहुत अधिक है लेकिन वहाँ के व्यक्ति के लिए बहुत कम है। लेकिन अगर वो व्यक्ति जिसकी हालत उसके देश में  निम्न-स्तर की है, वो भी भारत आकर एकदम रईस-सा जीवन जी सकता है।  भारत को विदेशी वस्तुओं के आयात में बहुत अधिक खर्च करने होते है लेकिन विदेशी राज्य बहुत कम क़ीमत में देश की वस्तुओं का आयात कर लेते है। क्योंकि दोनों देश की मुद्रा के मूल्य में अंतर होता है। तो स्पष्ट है की इस असंतुलन को कम करना होगा, इसे कम करने के लिए हम दो रास्ते हो सकते है; पहला की हम विदेशी वस्तुओं का मूल्य कम करें या दूसरा देश की वस्तुओं का मूल्य बढ़ा दे। पहला तो ऑउट ऑफ़ कंट्रोल है, लेकिन दूसरा उपाय करने के लिए हमें देश की एक बहुत बड़ी समस्या महँ

असली देशभक्ति

पाकिस्तान में भारत का विरोध इसलिए किया जाता है क्योंकि वहाँ भारतविरोधी बातों से खूब पब्लिसिटी हो जाती है। नेता तो सिर्फ ये देखकर तय किये जाते है कि भारत के विरोध और कश्मीर के सम्बन्ध में उसने भाषण दिया या नहीँ? भारत में भी यही होने लगा है , अधिक TRP के लिए भारतीय मिडिया चीन या पाकिस्तान की बातें छेड़ता है। अधिक पब्लिसिटी के लिए नेता भी यही करते है। अधिक लाइक्स के लिए अक्सर सोशल मिडिया पर भी लोग यही सब कर रहे है। इन सब के प्रत्यक्ष उदाहरण कई मिल जाएंगे। आज हम गिरिराज सिंह, साध्वी प्रज्ञा इत्यादि लोगों को केवल इसलिए ही जानते है क्योंकि इन्होंने उन्हीं चीज़ों को किया जो पाकिस्तान में भारत के लिए की जाती है। हमनें इनको महत्व दिया इन्हें पब्लिसिटी मिली, बस ये लोग तो अपनी चाल में सफल हो गए ,किन्तु नुकसान भारतीय लोकतंत्र का हुआ। क्या आप चाहते है कि भारत में भी वही होने लगे जो वर्षों से पाकिस्तान में हो रहा है, मैं तो बिलकुल नहीँ चाहता। हमें अपने आप में बदलाव लाना है , अपने देश में बदलाव लाना है। न कि पाकिस्तान में या चीन में। पाकिस्तान या किसी और देश की बुराई करके हमें स्वतन्त्

छोटी आदतें बड़ा परिवर्तन (विश्व पर्यावरण दिवस विशेष)

पर्यावरण की रक्षा तो हर कोई करना चाहता हैं और fb & whatsapp पर तो करता भी है ; जैसे मैं कर रहा हूँ☺। हर कोई ( मै भी ) कहता है कि प्रदूषण बेहद बढ़ गया हैं , ये गर्मी भी उसी का नतीज़ा है; ये जो जलवायु परिवर्तन हो रहा है उसी की वजह से है; ये बेमौसम बारिस ; फसलों की बर्बादी ; मँहगाई ; किसानों की आत्महत्या आदि का कारण बस प्रदूषण ही है। अगर इसके लिए जरूरी कदम नहीँ उठाये गए तो बहुत देर हो जाएगी। और इस चीज़ की वकालत भी बखूबी करते है कि सख्त कदम उठाएं जाने की आवश्यकता है। लेकिन ये कदम कौन से होंगे ये कोई नहीं जानना चाहता। बस सरकार और संस्थाओं से उम्मीद करता है कि वो कुछ करें। लेकिन वो कदम सरकार के साथ-साथ हमें भी उठाने होंगे। हम प्रदूषण को खत्म तो नहीँ कर सकते लेकिन कम जरूर कर सकते हैं । इसके लिए वृक्षारोपण सबसे बेहतरीन और जाना पहचाना उपाय हैं , और भी बहुत से उपाय है जो आप जानते हैं , लेकिन बहुत कम ही कर पाते हैँ। अब मैं उन उपायों की बात करूँगा जो हम बड़ी ही आसानी से कर सकते है, लेकिन समय आने पर या तो भूल जाते है या परिस्थिति ऐसी होती है कि हमें नकारना पड़ता हैं । पर्यावरण प्रदूषण के