नये जमाने के भिखारी
पिछले कुछ महीनों से Youtube Facebook जैसी साइट्स पर भीख मांगने वाले विज्ञापनों की भरमार सी हो गई है... इन विज्ञापनों में किसी असहाय, लाचार लोगों को एक प्रोडक्ट की तरह पेश किया जा रहा और उनकी बेबसी दिखाकर पैसे मांगे जा रहे। हो सकता है उनका उद्देश्य शायद सही भी हो.. लेकिन जितना ये NGOs विज्ञापन आदि पर खर्च कर रहे उससे अच्छा तो हजारों लोगों की मदद हो गई होती। और ये लोग विज्ञापन दिखा भी किसे रहे... हम जैसे आम लोगों को... जिनके पास पैसे की भले ही कमी हो सकती है, लेकिन मदद मांगने और मदद चाहने वालों की कोई कमी नहीं है... हम जैसे लोगों को किसी की मदद करने और दान-दक्षिणा करने के लिए किसी NGO की जरूरत नहीं है, हम अपने आसपास ही नजर दौड़ाएं तो हजारों लोग ऐसे मिलेंगे जिन्हें सच में मानवीय मदद की जरूरत होती है। सुना है और कई बार सामने भी देखा है, भीख मांगने को एक धंधे की तरह अपनाकर लोगों ने बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स खड़ी कर रखी है। बस इसी तरह की स्कीम अब ये ऑनलाइन भी चलाने लगे है, अपने सामने भिखारियों को देखकर हम थोड़ा अंदाज तो लगा ही लेते थे कि क्या सच में इसे जरूरत है या नहीं। लेकिन ऑनलाइन में तो लाचार...