Where Am I going?

Sometimes I think are we really going in right direction?? then I think

"साला ये पढ़ाई लिखाई सब फ़ालतू का चिक्कलस है रे, अपुन को अक्खी दुनिया बोलता कि तु बस ठीक से पढ़ाई करने का और अच्छी नौकरी लगने का मांगता , फ़िर सब ठीक हो जाएगा और लाइफ एकदम सेटल।
पर नौकरी तो अपन साला चाहता च नहीं , अपुन को तो फूल संतुष्टि और हैप्पी लाइफ मांगता है, जो कि साला पढ़ाई–लिखाई से घंटा नहीं मिलने वाला।"

थोड़ा मज़ेदार बनाने के लिए भाई की बोली में लिख डाला,, पर बात तो सही है जब हमें कोई अच्छी नौकरी मिल जाएं तब भी मन नहीं भरता, उसके आगे और दूसरी ख्वाहिशें पनपने लगती हैं, फ़िर तीसरी फ़िर चौथी... 
मतलब कभी अंत नहीं तुम्हारे लालच का यहां तक कि साला तुमको सीबीआई का डायरेक्टर क्यों न बना दे, तब भी तुम रिश्वत लोगे। अबे जाना किधर है तुमको? करना क्या चाहते हो गुरू? किधर लेके जाएगा ये सब?

ये ख्याल वैसे तो मेरे है, लेकिन हर उस व्यक्ति के मन में उठते होंगे, जो अपनी अच्छी–खासी खुशहाल जिंदगी की वाट लगा के बैठा है, सिर्फ़ नौकरी के लिए।

नोट:– पढ़ाई–लिखाई से मतलब उस शिक्षा से नहीं है जो किसी भी व्यक्ति के विकास में, उसको जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को सिखाने में, उसकी सोच विकसित करने के लिए आवश्यक होती है। इसका आशय उस लक्ष्यभेदी शिक्षा से है जिसे हम नौकरी पाने के लिए करते हैं।

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