बड़ेपापा (मेरे प्रेरणास्रोत)

बचपन से उनका हाथ था सर पर, जो दबाव सा डालता था, हमेशा अनुशासित रहने का, पढ़ाई करने का, गलत आदतों में न पड़ने का..आदि आदि.... कभी-कभी एक बोझ सा लगता था उनका वो हाथ।
फिर धीरे-धीरे जब मैं बड़ा हुआ,थोड़ा समझदार हुआ... तो समझ आया कि जिनका वो हाथ था न , उन्होंने तो न जाने कितना बोझ उठाया हुआ है अपने कंधों पर... और जो हाथ अपने बच्चों पर दबाव देने के लिए रखा है वो दरअसल हमें मजबूत बनाने के लिए है... जिससे कि हम जिंदगी की विभिन्न चुनौतियों को पार पाने लायक बन सके। और जब हमें ये समझ आया न तो उन्हें भी समझ आ चुका था कि हमें ये समझ आ गया है.... तभी तो उन्होंने वो हाथ का दबाव कम तो कर दिया... लेकिन हाथ हटाया नहीं था।

फिर एक दिन उनके इसी दबाव और आशीर्वाद के फलस्वरूप मुझे सफलता मिली और उस दिन उनके चेहरे पर जो खुशी की चमक थी वो गजब ही थी..UNEXPLAINABLE ...!

इसके बाद से उन्होंने अपना हाथ सर से हटा दिया और हाथों को हाथ में लेकर इस दुनियादारी में साथ चलना सिखाने लगे। वो जो बचपन से सर पर हाथ था... मेरे कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत का... वो कारण था मेरी बेफिक्री का... ये बेफिक्री इतनी आसानी से जा तो सकती नहीं... फिर भी सीखना जारी था उनके साये की बेफिक्री में ही सही।

लेकिन अब अचानक से ढूंढ रहा मैं वो हाथ , वो साया, वो साथ; कुछ नहीं मिल रहा , न कुछ दिख रहा। अभी तो बहुत कुछ जानना था, बहुत कुछ सीखना था आपसे बड़ेपापा! वैसे आपने सीखना सिखाया है तो सीख भी जाएंगे ही, लेकिन ये दुनिया सबक देकर सिखाती है, आप होते तो बात कुछ और ही होती।

याद आएगी... वो सुबह आपके आरती करने की आवाज के साथ हमारा डर से उठ जाना, वो कैरम की परियां, वो साथ में क्रिकेट देखना, वो त्योहारों पर पूरे परिवार के साथ पूजा अर्चना, हवन, आरती और न जाने क्या-क्या बातें।

इस दुनिया में बहुत लोग आते हैं और चले जाते हैं; कुछ लोग खूब पैसा कमा यहीं छोड़ जाते है, कुछ लोग बहुत मान-सम्मान लेकर इस दुनिया से जाते है। लेकिन आपने पैसा, मान-सम्मान के साथ-साथ लोगों के दिलों में जो प्यार बनाया हैं... वो आपको सबके दिलों में सदैव के लिए अमर कर गया हैं।

ॐ शांति 🙏



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