धर्म का अर्थ

*धर्म* ये धर्म आखिर है क्या? जिसके लिए लोग मरने-मारने के लिए तैयार रहते है, जिनके कारण हजारोँ की जाने चली जाती है दंगोँ मेँ । यह सवाल मन मेँ कई बार उठा , सोचा चलोँ कुछ सोचते हैँ । वास्तव मेँ धर्म का मतलब होता है, आचरण । संसार का सबसे प्राचीन धर्म सनातन (हिन्दू) धर्म है जिसका कोई स्थापक नहीं है या ज्ञात नहीं है। यह एक श्रेष्ठ धर्म है प्राचीन ऋषियों ने लोगों के अच्छे आचरण के लिए कुछ नियम बनाएँ जिन्हें संकलित कर लिया गया । इन नियमों के समूह को ही धर्म की सँज्ञा दी गई । बाद में इसके कारण कुछ कुरीतियाँ भी समाज में फैलने लगी। इन कुरीतियोँ को समाप्त करने के लिए अलग-अलग आवश्यकतानुसार अन्य धर्म भी स्थापित होते गए किन्तु कुरीतियाँ पुनः उत्पन्न होती गई, जिसका कारण कुछ लोगोँ का स्वार्थ तथा अन्य की अज्ञानता व अँधविश्वास हैँ । सभी धर्मों का सार लगभग एक ही है यदि जानना चाहते हो तो सभी धर्मों के ग्रंथों को उठा कर देख लीजिए। ध्यान रखिए हमारे धर्मोँ का असली ज्ञान हमारे धर्मग्रन्थोँ मेँ हैँ , हमारा ईश्वर हमारे हृदय में है। यदि हम समाज का भला चाहते हैं और हमारे पुर्वजोँ की तरह परमज्ञानी बनना चाहते है तो धर्मग्रन्थोँ मेँ कैद ज्ञान को बाहर लाना होगा और इन्हेँ जन-जन के लिए सुलभ बनाना होगा॥

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