इतिहास - भूतकाल में घटित सच्चाई या फिर मनगढ़ंत कहानियाँ
बचपन में इतिहास की किताबें कहानी की तरह पढ़ डालता था । फिर समझ आया कि ये घटनाएं सच्ची है। लेकिन अब बड़ा होने पर उसमें इतने फेरबदल देख रहा हुं कि लगता है उन सब किताबों को कहानी समझना ही ज़्यादा सही था। असली इतिहास अगर जानना है तो सारा देश घूमों और हर जगह बने ऐतिहासिक भवनों, संग्रहालयों, मंदिरों और मूर्तियों के खंडहर देखों। बहुत- सी बातें अपने आप समझ आ जायेगी।
सभी को कार्तिक पूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनाएं।
आज गुरुनानक जयंती के कारण सरकारी अवकाश है। गुरुनानक जी के प्रति श्रद्धा-स्वरूप उनके दर्शन के बारे में जानने के लिए पढ़ना शुरू किया ही था कि उनकी जन्मतारीख देखा तो 15 अप्रैल 1469 ई. दिखी। अलग-अलग जगहों पर बहुत खोजबीन करने पर यही तारीख सही लगी। फिर देखा कि ऐसा कि ऐसा कोई तो कैलेंडर होगा जिसमें कभी कार्तिक पूर्णिमा Oct-Nov की जगह अप्रैल में आ गई हो या ऐसा कुछ तो होगा जिसके कारण तिथियों में ये फेरबदल हुआ हो.. कुछ साक्ष्य नहीं मिले। कुछ स्रोतों के अनुसार गुरुनानक जी के जन्म के 399 साल बाद 1868 ई. पहली बार गुरु नानक जयंती वैशाखी की जगह कार्तिक पूर्णिमा को मनाई गई। इसका कारण जो भी मिले वो मेरी सोच से परे ही लगे, तो उनको न बताना ही उचित है।
ऐसे कुछ संशय बचपन में ही विक्रम संवत और राजा विक्रमादित्य के जन्म वर्ष को लेकर भी उठे थे, फिर समझ आया कि ये कैलेंडर तो बहूत पुराने है जिसके साक्ष्य जुटा पाना मुश्किल होगा। लेकिन ये तो महज कुछ शताब्दियों की बात है, इसमें ऐसा होना कई ऐतिहासिक स्रोतों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है।
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