कहीं हम पाकिस्तानियों की तरह तो व्यवहार नहीं कर रहे?

करीब 3 से 4 साल पहले ये ब्लॉग लिखा था स्वतंत्रता दिवस पर।

भारत और पाकिस्तान में सबसे बड़ा अंतर है कि यहां पूर्ण लोकतंत्र है और वहां लोकतंत्र जैसा कुछ–कुछ लगता है।
इस लेख में लिखा भी था मैंने कि वहां के चुनावों में "भारत" एक बहुत महत्वपूर्ण या कहूं सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा होता है। वहां का माहौल ही कुछ इस कदर है कि लोगों को रोटी, कपड़ा मिले ना मिले भारत का विनाश पहले चाहेंगे वो, उनकी इसी तरह की सोच ने ही आज तक उनको फिसड्डी रखा है।

अब तक भारत में ऐसा कुछ नहीं रहा । महंगाई , भ्रष्टाचार, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, किसान, जवान, विज्ञान और साथ–साथ आतंकवाद जैसे मुद्दे पाकिस्तान जैसे तुच्छ मुद्दों पर हमेशा भारी रहे। पर आज कुछ अलग माहौल दिख रहा 😑 और चुनावों के नजदीक आते ही राजनीतिक लाभ के लिए कुछ लोग इस आग में घी डालने का काम भी करेंगे।

वैसे चुनाव तो अभी कुछ दूर है, और तब तक उम्मीद है कि चुनाव पाकिस्तान के मुद्दे के साथ–साथ बाकी सब मुद्दों पर भी लड़े जाएंगे। पाकिस्तान का मुद्दा भी अहम है क्योंकि ये सीधे आतंकवाद की जड़ से मिला हुआ है, पर इतना भी नहीं कि बाकी सारे मुद्दे गौण हो जाएं। अगर हिंदुस्तान में भी "पाकिस्तान" एक बहुत बड़ा मुद्दा बन जाए तो वो अंतर ही नहीं बचेगा हिंदुस्तान और पाकिस्तान में जिस पर हमें गर्व होता है और जिसकी बदौलत हमने तरक्की कर पाकिस्तान को कई गुना पीछे छोड़ दिया है।

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