बड़ेपापा (मेरे प्रेरणास्रोत)
बचपन से उनका हाथ था सर पर, जो दबाव सा डालता था, हमेशा अनुशासित रहने का, पढ़ाई करने का, गलत आदतों में न पड़ने का..आदि आदि.... कभी-कभी एक बोझ सा लगता था उनका वो हाथ। फिर धीरे-धीरे जब मैं बड़ा हुआ,थोड़ा समझदार हुआ... तो समझ आया कि जिनका वो हाथ था न , उन्होंने तो न जाने कितना बोझ उठाया हुआ है अपने कंधों पर... और जो हाथ अपने बच्चों पर दबाव देने के लिए रखा है वो दरअसल हमें मजबूत बनाने के लिए है... जिससे कि हम जिंदगी की विभिन्न चुनौतियों को पार पाने लायक बन सके। और जब हमें ये समझ आया न तो उन्हें भी समझ आ चुका था कि हमें ये समझ आ गया है.... तभी तो उन्होंने वो हाथ का दबाव कम तो कर दिया... लेकिन हाथ हटाया नहीं था। फिर एक दिन उनके इसी दबाव और आशीर्वाद के फलस्वरूप मुझे सफलता मिली और उस दिन उनके चेहरे पर जो खुशी की चमक थी वो गजब ही थी..UNEXPLAINABLE ...! इसके बाद से उन्होंने अपना हाथ सर से हटा दिया और हाथों को हाथ में लेकर इस दुनियादारी में साथ चलना सिखाने लगे। वो जो बचपन से सर पर हाथ था... मेरे कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत का... वो कारण था मेरी बेफिक्री का... ये बेफिक्री इतनी आसानी से जा तो सकती नही